राजस्थान में चल रही सियासी जंग थमने का नाम ही नहीं ले रही है। इस जंग ने एक ही पार्टी को दो अलग- अलग गुट में बांट दिया है। इसमें गहलोत गुट अशोक गहलोत के मुख्यमंत्री बने रहने का सपोर्ट कर रहा है तो वहीं सचिन गुट उनके मुख्यमंत्री बनने की बात कर रहा है।
सियासत के घमासान के दौरान गहलोत गुट के एक विधायक ने अपने बयान से सबको चौंका दिया है। इस विधायक का कहना है कि उन्हें पायलट के मुख्यमंत्री बनने से कोई शिकायत नहीं है। उन्हें तो पता भी नहीं है कि उन से किसी कागज पर साइन करवाया गया।
पता नहीं किस कागज पर करवाए साइन- इंदिरा मीणा
मीडिया संस्था आजतक से बातचीत के दैरान गहलोत खेमे की विधायक इंदिरा मीणा ने बताया कि उन्हें पसरो मुख्यमंत्री आवास पर बुलाया गया था। लेकिन कल शांती धारीवाल ने फोन करके कहा कि घर आ जाओं। यहां आने के बाद उन्होंने हमसे एक कागज पर साइन करवाया जिसपर क्या लिखा है, उसकी हमें कोई जानकारी नहीं है।
आगे उन्होंने कहा कि वे सचिन पायलट का विरोध नही कर रही है। उन्हें पायलट के मुख्यमंत्री बनने से कोई आपत्ति नहीं है, उल्टा इसमें तो उन्हें ही फायदा है।
शांति धारीवाल ने कही पंजाब जैसी गलती ना दोहराने की बात
वहीं दूसरी और बात करें तो गहलोत सरकार के मंत्री शांति सिंह धारीवाल का एक वीडियो सामने आया है। इसमें वे आलाकमान को नसीहत देते दिख रहे हैं। शांती धारीवाल का कहना है कि अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री पद से हटाकर पंजाब की गलती को राजस्थान में ना दोहराएं।
ये सब एक षड़यत्र है, जिसके चलते हमने पंजाब को खोया है, लेकिन अब हम राजस्थान को नहीं खोने देंगे। बताया जा रहा है कि यह वीडियों उनके घर पर हुई विधायकों की बैठक का है।
बता दें कि शांति धारिवाल गहलोत के गुट के ही समर्थक है। वह चाहते है कि गहलोत मुख्यमंत्री के पद पर बने रहे। इसी मांग को लेकर गहलोत समर्थक विधायकों ने इस्तीफा देने का फैसला लिया था।
शांती धारिवाल और महेश जोशी के खिलाफ कार्रवाई कर सकता है आलाकमान
रविवार को शांति धारीवाल के घर पर हुई इस बैठक को पर्यवेक्षक अजय माकन के अनुशासनहीन माना। उन्होंने बताया कि कल उन्होंने कांग्रेस के सभी विधायकों की बैठक बुलाई थई लेकिन एक भी विधायक तय स्थान पर नहीं पहुंचा। सभी विधायक शांति धारीवाल के घर पहुंचे। यह आलाकमान के भेजे गए पर्यवेक्षकों का अपमान था।
सूत्रों की मानें तो पार्टी ने पार्टी शांति धारीवाल और महेश जोशी को कारण बताओ नोटिस जारी कर सकती है। वहीं कई और विधायकों पर भी कार्रवाई की जा सकती है। ऐसे में राजस्थान में हुए सियासी घमासान के बाद आलाकमान नाराज है, तो अब देखना होगा कि पार्टी का क्या फैसला होता है। और कौन बनता है राजस्थान का नया मुख्यमंत्री!