68 साल की तारा जयप्रकाश कुन्नूर के रहने वाले हैं और काफी समय से बुनाई और क्रोशिया का काम कर रही हैं. तारा अपने इस क्रोशिया के हुनर से कुशन कवर, शॉल, बेबी सेट, टिशु बॉक्स व बेडशीट जैसी कई चीजें बनाती हैं और शहर में होने वाले मेले ने ग्राहकों को बेचती हैं. 60 से 65 साल की उम्र पार करने के बाद लोगों को लगता है कि उन्हें आराम करना चाहिए और बहुत लोग समझते हैं कि अब उनसे किसी भी तरीके का कोई काम नहीं होगा और वह दूसरों पर निर्भर होने लगते हैं लेकिन 68 साल की तारा जयप्रकाश उन महिलाओं में से हैं जिन्होंने उम्र को सिर्फ नंबर समझा और अपने बचपन के सीखे हुए हुनर को अपना बिजनेस बनाया. तारा बताती है कि लोग हाथ से बने स्वेटर को ज्यादा पसंद करते हैं. यह हुनर उन्होंने अपनी दादी और मां से सीखा था.
तारा बताती है कि पहले वह केवल घर वालों के लिए ही यह काम करती थी. तारा के पति वायु सेना में कार्यरत थे जिसकी वजह से उन्हें देश के अलग-अलग शहरों में रहना पड़ता था. पति के रिटायरमेंट के बाद उन्होंने कुन्नूर में रहना पसंद किया. तारा कहती है वह जहां भी रही उन्होंने लोगों के लिए बहुत सारी चीजें बनाई. वह बेडशीट, कुशन कवर, तोरण बच्चों के लिए गर्म कपड़े आदि सब कुछ खुद ही बनाती हैं. तारा ने पहले कभी नहीं सोचा था कि वह अपने इस काम को बिजनेस बनाएंगी लेकिन उनके बेटी ने उन्हें इस हुनर को बिजनेस की तरह लेने के लिए सलाह दी. तारा बताती है कि उन्होंने आज तक 150 से भी ज्यादा आयोजनों में हिस्सा लिया है और उनके सामान को देखकर लोग उन्हें काफी ऑर्डर भी देते हैं.
तारा कहती है आज तक उन्होंने अपने सामान की कोई मार्केटिंग नहीं कि उनके सामान के मार्केटिंग खुद उनके ग्राहकों नहीं की है. वह सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर मार्केटिंग नहीं करती हैं. उन्होंने बताया कि उनके उत्पादों की कीमत ₹100 से लेकर 10 से ₹12000 तक है. तारा कहती है उन्हें एक प्रदर्शनी से ₹40000 तक की कमाई हो जाती है. तारा कहती हैं अगर मैं अपने इस काम को 20-30 साल पहले शुरू कर देती तो आज मेरी कमाई बहुत ज्यादा होती. फिलहाल वह आज भी दूसरे लोगों को रोजगार दे रही हैं.